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घनस्यांम / सत्यप्रकाश जोशी

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|रचनाकार=सत्यप्रकाश जोशी |संग्रह=राधा / सत्यप्रकाश जोशी
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<Poempoem
बरसै रे बादळा बरसै !
बरसै रे सांदळा बरसै !
ऊभी न्हांऊ।
बरस्यां जा घनस्यांम !म्हारी प्रीतड़ली रा स्यांम !
जणा जणा री तिरस मेट,
ताप मेट,
उमस मेट,
आणंद री झड़ी बरसातौ जा !सूखी धरती नै सरसातौ जा !
म्हारै हिवड़ा में बिलमाय
सकळ प्रांणां रौ बणजा स्यांम !बरस्यां जा घनस्यांम !बरस्यां जा घनस्यांम ! </Poempoem>
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