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|संग्रह=क-क्को कोड रो / कन्हैया लाल सेठिया
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सूनूं आभो तकतां तकतां
आयो मेह असाढ़ उतरतां
के कुदरत री करां बुराई ?
मिनख मिनख में आ खोटाई !
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