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आतमा रो मोल / गौरीशंकर प्रजापत

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[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]{{KKCatKavita‎}}{{KKCatRajasthaniRachna}}<poem>एकटक
देखतो हो म्हैं
जगती उणरी
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