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|रचनाकार=शिवराज भारतीय
|संग्रह=रंग-रंगीलो म्हारो देस / शिवराज भारतीय
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<poem>
बापूजी थे टी.वी. ल्यादो
म्हानै भावै टी.वी.
करनै सगळा काम जरूरी
पाछै देखां टी.वी.।
</Poempoem>