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<poem> पातर-पातर गोरिया के पतरी कमरिया
मोर सँवरिया रे पतरी डगरीया धइले जाय।
पातर लप-लप गोरी पतरी अंगुरिया
मोर संवरिया रे लचकत पनिया के जाय।
सरिया के आरी-पारी गोटवा के जरिया
मोर सँवरिया के मटकत रहिया के जाय।
बेंदिया लिलरिया जइसे चमकत बिजुरिया
मोर-संवरिया रे कलियन पर भँवर लोभाय।
गावत महेन्दर मिसिर इहो रे पुरूबिया
मोर संवरिया रे देखले में जिया ना अघाय।
</poem>
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