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हिज्जे
चक़मक़ परतों में, जैसे कि पड़ा हो अयस्क अकेले—<br>
इतना भीतर चला आया हूँ कि मुझको रास्ता दिखाई नहीं देता<br>
और मिलता नहीं कोई विस्तार : सब मेरे चेहरे के नज़दीक है—<br>
और जो कुछ भी है मेरे चेहरे के नज़दीक—पत्थर है केवल।<br><br>
तकलीफ़ में अब तक ज्ञान-वान कुछ नहीं मिला—<br>
यह भीमाकार-सा अँधेराअंधेरा<br>
छोटा करता है मुझे।<br>
मेरे स्वामी बन लो, बनो तुम भयानक और भीतर बैठो।<br><br>
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