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|रचनाकार=गौरीशंकर
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{{KKCatRajasthaniRachna}}<poem>मौसम बोत ई सूंणो
बादळ घुट्योड़ा है
यूं लागै
बस बादळ बरसैला
म्हैं गांव सूं
कोसां कोस दूर हूं,
म्हारो गांव
हंसतो दीसै म्हनैं।</poem>
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बादळ घुट्योड़ा है
यूं लागै
बस बादळ बरसैला
म्हैं गांव सूं
कोसां कोस दूर हूं,
म्हारो गांव
हंसतो दीसै म्हनैं।</poem>