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Kavita Kosh से
पाठशालाएं बंद-सी थीं उसके लिए
वरना वह भी पहुंच सकता था भाषा तक
सक्रिय शब्दोंु शब्दों में कह सकता था
अपने समय को
पीले कब होंगे बहनों के हाथ
पिता कहते हैं
कहीं हिल्लेै हिल्ले से लग जाते तुम
तो जीत जाते हम जीवन की जंग।
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