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1-
जी चाहता है
उन पलों को
और फिर भूल जा...
एक मुट्ठी ही सही
तू उसके मन में
चल जाएगा...
भरोसे की पोटली में
ज़रा-सा भ्रम भी बाँध दे
भ्रम मुझे बैलेंस करेगा...
उसके लम्स के क़तरे
तू अपनी उस तिजोरी में रख दे
जबरन न कर सकेगा...
अंतरिक्ष में
एक सेटलाईट टाँग दे
और मेरा हाल जान ले...
क़यामत का दिन
तूने मुकरर्र तो किया होगा
अपने सातों जन्म जी लूँ...
अपना थोड़ा वक्त
तेरे बैंक के सेविंग्स अकाउंट में
जो सिर्फ मेरा...
मैं सागर हूँ
मुझमें लहरें, तूफ़ान, खामोशी, गहराई है
मुझे करा दिया होता...
मेरे कहे को
सच न मान
कभी न लौटा...
बहुत कन्फ्यूज़ हूँ
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