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वे मेरे ही हिये बंधे हैं
जो मर्यादाएँ लाए हैं।
 
मेरे शब्द, भाव उनके हैं
मेरे पैर और पथ मेरा,
मेरा अंत और अथ मेरा,
ऐसे किंतु चाव उनके हैं।
 
मैं ऊँचा होता चलता हूँ
उनके ओछेपन से गिर-गिर,
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