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कवि / हरिऔध
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07:17, 18 मार्च 2014
पैठ करके प्यार जैसे पैंठ में।
।दाम
दाम
खोटी चाट का पाता रहा।
जो कभी चोटी चमोटी के लगे।
कवि-कलेजा चोट खा जाता रहा।
</poem>
Gayatri Gupta
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