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चलो / शैलजा पाठक

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चलो , सोने से पहले जागते हैं
चाँद के चरखे पर
मुहब्बत का सूत कातते हैं...
मुह मुँह उठाये पहाड़ों कोपहना आते हैं बरफ बरफ़ की सफ़ेद टोपी
नदियों की शोखी को
किनारों से बाँध आते हैं
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