भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
<poem>
11
बदले हर मौसम से
ठेस नहीं पाई
जितनी तेरे गम से ।से।
16
बैरी तो दूर रहे
अपनों से पाए
जितने नासूर रहे ।रहे।
17
अपना किसको कहना
दिन -रात पड़े रहना
18
बादल ये बरसेंगे ।
मन में धीर धरो
जीवन-पल हरसेंगे ।हरसेंगे।
19
तुझ-सा न मिला कोई
जिसको याद करें
अँखियाँ हर पल रोईं ।रोईं।
20
अँधियारे आएँगे
हम तेरे पथ में
सूरज बन जाएँगे ।जाएँगे।</poem>