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{{KKRachna
|रचनाकार=सुदर्शन फ़ाकिर
}} [[Category:गज़ल]]{{KKCatGhazal}}<poem> ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो <br>भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी <br>मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन<br> वो काग़ज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी <br><br>
मुहल्ले की सबसे निशानी पुरानी <br>वो बुढ़िया जिसे बच्चे कहते थे नानी <br>वो नानी की बातों में परियों का डेरा <br>वो चहरे की झुरिर्यों में सदियों का फेरा <br>भुलाये नहीं भूल सकता है कोई <br>वो छोटी सी रातें वो लम्बी कहानी <br><br>
कड़ी धूप में अपने घर से निकलना <br>वो चिड़िया वो बुलबुल वो तितली पकड़ना<br> वो गुड़िया की शादी में लड़ना झगड़ना <br>वो झूलों से गिरना वो गिर के सम्भलना <br>वो पीतल के छल्लों के प्यारे से तोहफ़े <br>वो टूटी हुई चूड़ियों की निशानी <br><br>
कभी रेत के ऊँचे टीलों पे जाना <br>घरोंदे बनाना बना के मिटाना <br>वो मासूम चाहत की तस्वीर अपनी<br> वो ख़्वाबों खिलौनों की जागीर अपनी <br>न दुनिया का ग़म था न रिश्तों के बंधन <br>बड़ी खूबसूरत थी वो ज़िंदगानी <br><br/poem>