भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उडीक / ओम नागर

693 bytes added, 13:01, 7 मई 2014
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओम नागर |संग्रह= }} {{KKCatRajasthani‎Rachna}} {{KKCatKavita...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ओम नागर
|संग्रह=
}}
{{KKCatRajasthani‎Rachna}}
{{KKCatKavita‎}}
<Poem>सूरज उग
ढळग्यों/आंथग्यो
जाणै कतनी बेर।

पोवणी की नांई
तपबा लाग’गी धरणी
जेठ की भरा-भर दुपैरी मं
भर्रणाया बादळां की नांई
जी गैल पै
रूस’र चली’गी छी तू।

ऊं गैल पै
मन की रीती छांगळ ल्यां
ऊंभौ छूं हाल बी
थंई उडीकता।
</Poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
5,484
edits