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|रचनाकार=नंदकिशोर सोमानी ‘स्नेह’
|संग्रह=मंडाण / नीरज दइया
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<poem>भींतां री छाती रै चिप्योड़ी छिपकल्यां
आपरी ऊंडी दीठ रै पाण
भर लेवै
आपरो पेट।

वै नित री गिटै
भांत-भांत रा कीड़ा-मकौड़ा / माछर
रंग-बिरंगां कीट-पतंगा
वै गिट जावै
भींतां रै आसै-पासै उडतै फिड़कलां नैं।
भींतां फेरूं ई मून रैवै
मून रैवणो भींतां रो सुभाव होवै
अर कीड़ा गिटणो छिपकल्यां रो स्वाद!

जद ताणी भींतां मून रैसी
छिपकल्यां इयां ई मनावैली
पिकनिक।</poem>
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