भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदकिशोर सोमानी ‘स्नेह’ |संग्रह=...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नंदकिशोर सोमानी ‘स्नेह’
|संग्रह=मंडाण / नीरज दइया
}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatKavita‎}}
<poem>जुध री खबरां
बदळ देवै अखबारां रा चैरा
जुध रै बगत
अखबार रै ऊपरलै पानै माथै
नीं दीसै खिल्योड़ा फूलां री फोटूवां,
नीं दिखै आभै मायं उडता पंखेरू।
शासनाध्यक्ष रै दौरै री खबरां भी
छप्योड़ी होवै बिना फोटुवां रै।

तीज-तिंवार अर मेळै-मगरियै री
भीड़ दिखावती फोटुवां पण
गायब होय जावै जुध रै दिनां मांय।

जुध रै बगत
अखबार मांय दिखै फगत
आभै मांय उडता लड़ाकू-विमान
बम रै गोळां सूं भस्म होयोड़ी
सभ्यता अर संस्कृति
रोवता-बिलखता
आदमी-लुगाई
कै पछै डर सूं चिरळी मारतै
टाबरां रा चैरा।

फेर ई दिनूंगै-दिनूंगै
एक नवै डर नैं लेय’र
सोधती रैवै आपणी आंख्यां
जुध री खबर बांचण सारू अखबार...।</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
5,484
edits