भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
और तुम व्याकुल हो उठे हो<br>
धूप में कसे<br>
हहराती लहरों के निर्मम थपेड़ों से-<br>
छोटे-से प्रवाल-द्वीप की तरह<br>