भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
86 bytes removed,
07:05, 30 मई 2014
{{KKGlobal}}
{{KKAarti|रचनाकार=}}{{KKCatKavitaKKDharmikRachna}}{{KKAnthologyShivKKCatArti}}<poem>जय केदार उदार शंकर, भव भयंकर दु:ख हरम्।<BR>गौरी, गणपति, स्कन्द, नन्दी, श्री केदार नमाम्यहम्॥ जय ..<BR>. शैल सुन्दर अति हिमालय, शुभ्र मन्दिर सुन्दरम्।निकट मंदाकिनी सरस्वती, जय केदार नमाम्यहम्॥ जय...
शैल सुन्दर अति हिमालयउदक कुण्ड है अधम पावन, शुभ्र मन्दिर सुन्दरम्।<BR>रेतस कुण्ड मनोहरम्।निकट मंदाकिनी सरस्वतीहंस कुंड समीप सुन्दर, जय जै केदार नमाम्यहम्॥ जय ..<BR>.
उदक कुण्ड है अधम पावनअन्नपूर्णा सह अपर्णा, रेतस कुण्ड मनोहरम्।<BR>काल भैरव शोभितम्।हंस कुंड समीप सुन्दरपांच पांडव द्रोपदी सह, जै जय केदार नमाम्यहम्॥ नमाम्हयम्॥ जय ..<BR>.
अन्नपूर्णा सह अपर्णाशिव दिगम्बर भस्मधारी, काल भैरव शोभितम्।<BR>अर्द्ध चन्द्र विभूषितम।पांच पांडव द्रोपदी सहशीश गंगा कंठ फणिपति, जय जै केदार नमाम्हयम्॥ नमाम्यहम्॥ जय ..<BR>.
शिव दिगम्बर भस्मधारीकर त्रिशूल विशाल डमरू, अर्द्धचन्द्र विभूषितम।<BR>ज्ञान गान विशारदम्।शीश गंगा कंठ फणिपतिमध्य महेश्वर तुंग ईश्वर, जै केदार नमाम्यहम्॥ रुद्र कल्प महेश्वरम्॥ जय ..<BR>.
कर त्रिशूल विशाल डमरू, ज्ञान गान विशारदम्।<BR>मध्य महेश्वर तुंग ईश्वर, रुद्र कल्प महेश्वरम्॥ जय ..<BR> पंच धन्य विशाल आलय, जै केदार नमाम्यहम्।<BR>नाथ पावन हे विशालम्, पुण्यप्रद हर दर्शनम्॥ जय ..<BR>.
जय केदार उदार शंकर, पाप ताप नमाम्यहम्॥
</poem>