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|संग्रह=पद-रत्नाकर / भाग- 4 / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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<poem>
बृंदावन-रानी श्रीराधा।
मोहन-मन-मानी श्रीराधा॥-१॥

जय नित्य-बिहारिनि श्रीराधा।
ब्रज-सुख-बिस्तारिनि श्रीराधा॥-२॥

कीरति की कन्या श्रीराधा।
सब ही बिधि धन्या श्रीराधा॥-३॥

जय-रास-बिलासिनि श्रीराधा।
नित कुंज-निवासिनि श्रीराधा॥-४॥

हरि-‌उर-वनमाला श्रीराधा।
गुन-रूप रसाला श्रीराधा॥-५॥

श्रीदामा-‌अनुजा श्रीराधा।
बृष-दिनमनि-तनुजा श्रीराधा॥-६॥

रसिकन की स्वामिनि श्रीराधा।
करुनानिधि-नामिनि श्रीराधा॥-७॥

बंसीबट बासिनि श्रीराधा।
संगीत-प्रकासिनि श्रीराधा॥-८॥

श्रीकृष्ण-सिरोमनि श्रीराधा।
जय स्याम-संजीवनि श्रीराधा॥-९॥

आनंद-रसायिनि श्रीराधा।
प्रीतम-सुखदायिनि श्रीराधा॥-१०॥

अनुराग-सुबेली श्रीराधा।
सौभाग्य-नवेली श्रीराधा॥-११॥

सरसीरुह-लोचनि श्रीराधा।
हरि-बिरह-बिमोचनि श्रीराधा॥-१२॥

गोपाल-‌उपासिनि श्रीराधा।
बृंदाबन-बासिनि श्रीराधा॥-१३॥

श्रीगान-सुधानिधि श्रीराधा।
प्रेमावधि सब बिधि श्रीराधा॥-१४॥

जय नख-चंद्रावलि श्रीराधा।
प्रीतम-प्रेमावलि श्रीराधा॥-१५॥

ललितादिक-प्यारी श्रीराधा।
अति रूप-‌उज्यारी श्रीराधा॥-१६॥

मंगल की मूरति श्रीराधा।
ब्रज-बन सुख-पूरति श्रीराधा॥-१७॥

ब्रज-चंद-कुमुदिनि श्रीराधा।
भांडीर-बिनोदिनि श्रीराधा॥-१८॥

लीला-रस-रंगिनि श्रीराधा।
अनुराग-‌अनंगिनि श्रीराधा॥-१९॥

त्रिभुवन-ठकुरायनि श्रीराधा।
गोबिंद-गुसाँयनि श्रीराधा॥-२०॥

गोपी-जन-मंडिनि श्रीराधा।
रस-रासि अखंडिनि श्रीराधा॥-२१॥

नटनागर-भामा श्रीराधा।
परिपूरन-कामा श्रीराधा॥-२२॥

तरुनी-मनि दच्छनि श्रीराधा।
सब भाँति सुलच्छनि श्रीराधा॥-२३॥

कल केलि तरंगिनि श्रीराधा।
लावन्य बिभंगिनि श्रीराधा॥-२४॥

कात्यायनि-बंदनि श्रीराधा।
अभिलाष अमंदिनि श्रीराधा॥-२५॥

गोपी-चूड़ामनि श्रीराधा।
सुषमा-महिमा-मनि श्रीराधा॥-२६॥

रामा-‌अभिरामा श्रीराधा।
स्यामा सुख-धामा श्रीराधा॥-२७॥

रस-रास-रचावनि श्रीराधा।
नटराज-नचावनि श्रीराधा॥-२८॥

ब्रज-जीवन-जीवनि श्रीराधा।
निरवधि रस-पीवनि श्रीराधा॥-२९॥

जमुना-जल-बिहरिनि श्रीराधा।
लीलामृत-लहरिनि श्रीराधा॥-३०॥

निगमादि-‌अगया श्रीराधा।
प्रेमावधिरया श्रीराधा॥-३१॥

जग-बंदन-बंदित श्रीराधा।
नँद-नंदन-नंदित श्रीराधा॥-३२॥

निस-जागर-साजित श्रीराधा।
सुख-सेज-बिराजित श्रीराधा॥-३३॥

ब्रज-चंद-चकोरी श्रीराधा।
वृषभान-किसोरी श्रीराधा॥-३४॥

ब्रज-मोहन-मोहिनि श्रीराधा।
अभिलाषनि-दोहिनि श्रीराधा॥-३५॥

वृंदाबन-सोभा श्रीराधा।
क्रीड़ा-तरु-गोभा श्रीराधा॥-३६॥

अतिसय रतिरूपिनि श्रीराधा।
माधुर्य अनूपिनि श्रीराधा॥-३७॥

कमनीय कुमारी श्रीराधा।
ब्रज-बल्लभ-प्यारी श्रीराधा॥-३८॥

श्रीकृष्णाकर्षिनि श्रीराधा।
आनँदघन-बर्षिनि श्रीराधा॥-३९॥

दियांसुक-बेसी श्रीराधा।
अतिमंजुल-केसी श्रीराधा॥-४०॥

अभिसार-प्रपन्ना श्रीराधा।
अत्यन्त प्रसन्ना श्रीराधा॥-४१॥

कल-केलि-परावधि श्रीराधा।
रस-रीति-रहःसिधि श्रीराधा॥-४२॥
</poem>
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