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1.अर्चन–आराधन

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[[Category:सेदोका]]
<poem>
0
रे वनमाली !
मन में तेरा रूप
बसा सदा अनूप
मोर–मुकुट
पीताम्बर के छोर
बाधा मुझे किशोर !
-0-
'''1
मन मोहन !