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{{KKRachna
|रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>
चित्त उदास और मन चंचल,
हो तो यह कर डालें|
चलकर किन्हीं सड़क गलियों में,
बच्चा गोद गोद उठा लें|
बच्चे को गुदगुदी लगाकर,
उसको खूब हँसा लें|
वह लग जाये ठिल ठिल करने,
तो खुद भी मुस्करा लें|
खुशियों के उन, मुक्त पलों को,
आंखों में बैठा लें|
कुशल वैद्य होते हैं बच्चे,
बस इलाज करवा लें|</poem>
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|रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव
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|संग्रह=
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चित्त उदास और मन चंचल,
हो तो यह कर डालें|
चलकर किन्हीं सड़क गलियों में,
बच्चा गोद गोद उठा लें|
बच्चे को गुदगुदी लगाकर,
उसको खूब हँसा लें|
वह लग जाये ठिल ठिल करने,
तो खुद भी मुस्करा लें|
खुशियों के उन, मुक्त पलों को,
आंखों में बैठा लें|
कुशल वैद्य होते हैं बच्चे,
बस इलाज करवा लें|</poem>