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Kavita Kosh से
<table widthdiv id=100% border=1 cellpadding=10"kkreadercommentsblock"><tr><td stylediv id="width:150pxkkreadercomment" align=center>[[चित्र:MridulKirti.jpg|100px]]<br>'''डा. [[मृदुल कीर्ति]]'''</td><td valign=top>ये है दो साल पहले एक स्टूडेंट ने मुझसे एक कविता के बारे में पूछा जो उसे नहीं आती थी।उसे कविता कोश अनुपम, अलंकारों की एक लाइन ही याद थी।कविता मेरी पढ़ी हुई थी लेकिन मुझे भी पूरी याद नहीं आ रही थी। मैंने उस से जड़ा,<br>जितना लूटोगे इसे आश्चर्य मय! उतना बढ़ा<br>हीरक मणि सी भावनाएं, विज्ञ लोगों अगले दिन बताने को कहा। घर आ कर मैंने उन किताबों में दूंढने की कोशिश की जो मेरे पास थीं लेकिन मुझे वो कविता नहीं मिली। फिर मैंने इन्टरनेट पर कविता खोजने की सोची। गूगल ने गढी<br>सबसे पहला रिजल्ट जो जिस वेबसाइट का दिखाया वो कविता कोश का था। कविता मुझे मिल गयी थी। अगले दिन उस स्टूडेंट को वो कविता दे दी। उसे कविता मिल गयी और मुझे कविता का खुला है, पा सकें जिसने पढींकोश..<br>थामतीं हैं भावनाएँ, हो विषादों की घड़ी<br>इनकी तन्मयता निरंतर, ब्रह्म से होतीं जुडी.<br>जब कोई साथी हमें, मिलता नहीं परिवेश में,<br>साथ साँचा पा सकेंगे, मित्र '''"कविता कोश"''' में<br></td></tr>
उस दिन से लेकर आज तक जब भी कोई कविता, दोहा, नज़्म या कोई भी रचना जो मैं भूल जाती हूँ या अधूरी आती है कविता कोश की मदद से मुझे मिल जाती है। कविता कोश मेरे लिए जादू की पिटारी जैसा है जिसमें से हर बार मुझे मनचाही कविता मिल जाती है। ऐसा बहुत कम हुआ है कि मैंने कविता कोश में कुछ खोजा हो और वो मुझे ना मिला हो।
कविता कोश के बारे में मैंने अपने उस स्टूडेंट को तो बताया ही साथ ही साथ और भी कई बच्चों और मित्रों को बताया।मुझसे जब भी कोई किसी कविता के बारे में पूछता है जो उसे नहीं मिल रही होती है तो मैं उसे कविता कोश के बारे में बता देती हूँ।
कविता कोश जैसी साईट बनाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।<tr/div><td stylediv id="width:150pxkkcomentatorname" align=center>'''रूपसिंह चन्देल'''पूजा शर्मा, अध्यापिका, नई दिल्ली, (17 जून 2014)</tddiv><td valign=top>कविता कोश ने दो वर्ष की यात्रा सफलता-पूर्वक पूरी कर तीसरे वर्ष में प्रवेश कर रहा है. इसके माध्यम से आपने हिन्दी के लिए अमूल्य कार्य किया है. हिन्दी कविता को विश्व-मानचित्र में सुस्थापित करने का जो गौरवपूर्ण कार्य आपने किया है वह श्लाघनीय है. मेरा विश्वास है कि कविताकोश की यह यात्रा निरंतर जारी रहेगी. इस अवसर के लिए आपको मेरी ढेर सारी बधाई.</td></trdiv>
<tr><td stylediv id="width:150pxkkreadercommentsblock" align=center>[[चित्र:Dwijendra_dwij.jpg|100px]]<br>'''[[द्विजेन्द्र 'द्विज']]'''</td><td valigndiv id=top"kkreadercomment">हिन्दी काव्य सृजन मैं खुद एक टीचर होने के विविध रूप—रंग विश्व—व्यापी पाठक वर्ग कारण अपने विद्यार्थियों को अनेक गद्य और पद्य से जुड़े प्रोजेक्ट देती रहती हूँ। बच्चे लेखकों के समक्ष और अलग-अलग विधाओं के नाम सुनकर भयाक्रांत हो उठते हैं। आज की पीढ़ी को गूगल के अलावा कुछ और समझ ही कहाँ आता है!! ऐसे में मैं उन्हें हर विधा के लिए सिर्फ एक ही साईट खोलने की सलाह देती हूँ - कविता कोश (और इसी के रूप जरिये गद्य कोश)। यकीन मानिए मुझे सिर्फ दो सेमेस्टर में लाकर रखने का आपने जो प्रयास किया है उसकी प्रशंसा और अनुशंसा ही उन्हें इस साईट के लिये लिए कम—अज़—कम बारे में बताना पड़ा, बाकी अब इसका प्रचार वे खुद ही एक दूसरे के बीच कर रहे हैं। एक दिन मेरी एक स्टूडेंट मेरे पास उछलती हुई आई और बोली- "maam आपने तो शब्द बताया ही नहीं हैंथा कि गद्य कोश में आपका भी पन्ना है!<br><br>!" और मैं सिर्फ प्यार से उसके गाल को थपथपा के हँस दी।
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कविता कोश के बारे में कुछ कहना अपने आप में एक असम्भव सा काम है। कविता कोश को मैंने हमेशा रेफेर करता था, जब भी मुझे कोई कविता या कुछ और जानकारियाँ चाहिए होती तो मुझे कविताकोश को देखता, वहीं से जानकारी हांसिल करता था। और आज भी मेरा सिंगल पॉइंट रिफरेन्स कविताकोश ही है। बाद में बहुत बाद में जब मेरी अपनी कविताएँ और कहानियाँ इसका हिस्सा बनी तो मैं ख़ुशी के मारे फूला न समाया। ये मेरी एक साहित्यकार के रूप में सबसे बड़ी उपलब्धि रही है। इसके लिए मैं ललित जी और कविताकोश का हमेशा ही शुक्रगुजार रहूँगा! ललित जी ने जो काम किया है कविताकोश के रूप में, वो अतुलनीय है। कविताकोश की तरह समृद्ध कोई और साईट नहीं है। इन्टरनेट पर इतनी अच्छी सामग्री कहीं और नहीं है। यकीनन, ललित जी ने बहुत मेहनत का काम किया है। मेरी दिल से बधाई और शुभकामनाएँ ललित जी को और कविताकोश को
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<div id="kkcomentatorname">[[विजय कुमार सप्पत्ति]], लेखक</div>
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<trdiv id="kkreadercommentsblock"><td stylediv id="width:150pxkkreadercomment" align=center>[[चित्र:Abha_bodhisatvaये है कविता कोश अनुपम, अलंकारों से जड़ा,जितना लूटोगे इसे आश्चर्य मय! उतना बढ़ाहीरक मणि सी भावनाएं, विज्ञ लोगों ने गढीकोश कविता का खुला है, पा सकें जिसने पढीं.png|100px]]<br>थामतीं हैं भावनाएँ, हो विषादों की घड़ीइनकी तन्मयता निरंतर, ब्रह्म से होतीं जुडी.जब कोई साथी हमें, मिलता नहीं परिवेश में,साथ साँचा पा सकेंगे, मित्र '''[[आभा बोधिसत्त्व]]"कविता कोश"'''में</tddiv><td valigndiv id=top"kkcomentatorname">कविता कोश से जुड़ कर बहुत अच्छा लगा। कविता कोश के साथ क्यों नहीं कथाकोश की शुरुआत करते[[मृदुल कीर्ति | डॉ...अच्छा रहेगा... कविता कोश की उन्नति होमृदुल कीर्ति]], कवियत्री</tddiv></trdiv>
<tr><td stylediv id="width:150pxkkreadercommentsblock" align=center>[[चित्र:Subhash_neerav.jpg|100px]]<br>'''[[सुभाष नीरव]]'''</td><td valigndiv id=top"kkreadercomment">यह हम सब हिंदी प्रेमियों के लिए बड़े गर्व और हर्ष कविता कोश ने दो वर्ष की बात यात्रा सफलता-पूर्वक पूरी कर तीसरे वर्ष में प्रवेश कर रहा है कि . इसके माध्यम से आपने जिस महत्वपूर्ण लेकिन बहुत कठिन काम का सपना देखा था, वह आज एक उपलब्द्धि हिन्दी के रूप लिए अमूल्य कार्य किया है. हिन्दी कविता को विश्व-मानचित्र में हमारे सामने हैं। नि:संदेह यह दुरुह और श्रमसाध्य सुस्थापित करने का जो गौरवपूर्ण कार्य था लेकिन आपकी निष्ठा और लगन ने सिद्ध कर दिया आपने किया है वह श्लाघनीय है. मेरा विश्वास है कि आदमी अगर चाहे तो क्या नहीं कर सकता है। कविता कोश में गत दो वर्षों में 325 से अधिक कवियों कविताकोश की 10,000 रचनाओं को संकलित करके न केवल वर्तमान पीढ़ी यह यात्रा निरंतर जारी रहेगी. इस अवसर के लिए वरन आने वाली नई पीढ़ी के लिए एक बेहद अनूठा और महत्वपूर्ण कार्य कर दिखाया है, इसके लिए आप को और कविता कोश की पूरी टीम को बधाई।आपको मेरी ढेर सारी बधाई.</tddiv><div id="kkcomentatorname">रूपसिंह चन्देल, लेखक</div></trdiv>
<tr><td stylediv id="width:150pxkkreadercommentsblock" align=center>[[चित्र:Divik_ramesh.JPG|100px]]<br>'''[[दिविक रमेश]]'''</td><td valigndiv id=top"kkreadercomment">हिन्दी काव्य सृजन के विविध रूप—रंग विश्व—व्यापी पाठक वर्ग के समक्ष कविता कोश निस्संदेह हमारा अपना हिन्दी रचना जगत के रूप में लाकर रखने का एक जरूरी वेब जाल हॆ । शुभकामनाएं ऒर बधाई</td></tr>आपने जो प्रयास किया है उसकी प्रशंसा और अनुशंसा के लिये लिए कम—अज़—कम मेरे पास तो शब्द ही नहीं हैं!
''है तेरे साथ अगर तेरे इरादों का जुनूँ,''
''क़ाफ़िला है तू कभी खु़द को अकेला न समझ''
आपका यह संकल्प निरन्तर बना रहे, सुदृढ़ हो!<tr/div><td stylediv id="width:150pxkkcomentatorname" align=center>[[चित्र:Ramadwivedi.jpg|100px]]<br>द्विजेन्द्र 'द्विज''डॉ० [[रमा द्विवेदी]]'''</tddiv><td valign=top>यह जानकर अत्यन्त खुशी हुई कि कविता कोश अपनी अनवरत यात्रा में दूसरा मील का पत्थर स्थापित करने जा रहा है... इतने कम समय में इतनी अधिक रचनाओं का संकलन कविताकोश ने असंभव को संभव कर दिखाया है सच में यह अद्भुत एवं प्रशंसनीय है। ललित जी एवं कविता कोश की पूरी टीम इसके लिए बधाई की हकदार है। कविताकोश इसी तीव्र गति से सफलता के अनन्त शिखरों का स्पर्श करे इन्हीं हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...</td></trdiv>
<tr><td stylediv id="width:150pxkkreadercommentsblock" align=center>'''रचना श्रीवास्तव'''</td><td valigndiv id=top"kkreadercomment">महान कवियों की अनमोल कविताओं का अनोखा संग्रह है कविता कोश. जब से जाना है दिन में एक बार तो जरूर ही जुड़ कर बहुत अच्छा लगा। कविता कोश में विचरण करती हूँ जितना देखती हूँ उतना ही कविताओं के इस महासागर में डूबती जाती हूँसाथ क्यों नहीं कथाकोश की शुरुआत करते. भगवान से प्रर्थना है ..अच्छा रहेगा... कविता कोश की ये यूँ ही उन्नति पथ पे चढता रहे निखरता रहे सवरता रहे और रहती दुनिया तक आपनी वर्षगांठ मनाता रहेहो...<br/div><brdiv id="kkcomentatorname">[[आभा बोधिसत्त्व]]</div></div>
<tr><td stylediv id="width:150pxkkreadercommentsblock" align=center>[[चित्र:Bhavna_kunwar.jpg|100px]]<br>'''डॉ० [[भावना कुँवर]]'''</td><td valigndiv id=top"kkreadercomment">कविता कोश नामक इस साइट ने निस्संदेह हमारा अपना हिन्दी-रचना जगत को जो अनूठा उपहार प्रदान किया का एक जरूरी वेब जाल है वह एक निश्चित ही सराहनीय है। इस साइट ने हिन्दी काव्य के हर पहलू एवं अतीत से वर्तमान तक से सभी साहित्यकारों के परिचय एवं उनके साहित्य को दिये योगदान को एक श्रृंखला में पिरोया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि कविता कोश दिन-रात अमर बेल की तरह बढ़ता रहे।। शुभकामनाएँ और बधाई<br/div><brdiv id="kkcomentatorname">[[दिविक रमेश]]</tddiv></trdiv>
<trdiv id="kkreadercommentsblock"><td stylediv id="width:150pxkkreadercomment" align=center>[[चित्र:Rameshwer_dayal_kambojइस भगीरथ आनन्द लहरी के बारे में क्या लिखूं, कविता कोष वाकई में काव्य प्रेमियों की विश्रामस्थली बन चुका है.jpg|100px]]<br>'''[[रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु']]'''..दस्तक दो और मित्र हाजिर की भांति सूर तुलसी कबीर से लेकर नीरज और बशीर बद्र तक बच्चन, निराला फैज किस किस का नाम लूं, करीब-करीब सभी तो बस एक क्लिक अवे ! यह बहुमूल्य कविता कोष का खजाना यूं ही दिन दूना और रात चौगुना बढ़ता रहे, इन्ही अशेष शुभकामनाओं के साथ...</tddiv><td valigndiv id=top"kkcomentatorname">कविताकोश विश्व के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। अपनी जिस प्राचीन धरोहर को हम प्रिंट माध्यम से सँजोने एवं लोगों तक पहुँचाने में असमर्थ थे; इस कोश के माध्यम से दूर–दराज़ तक पहुँचा सकेंगे एवं हिन्दी समझने वालों को जोड़ सकेंगे। इससे हिन्दी काव्य का फ़लक विस्तृत एवं व्यापक होगा।शैल अग्रवाल</tddiv></trdiv>
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यह जानकर अत्यन्त खुशी हुई कि कविता कोश अपनी अनवरत यात्रा में दूसरा मील का पत्थर स्थापित करने जा रहा है... इतने कम समय में इतनी अधिक रचनाओं का संकलन कविताकोश ने असंभव को संभव कर दिखाया है सच में यह अद्भुत एवं प्रशंसनीय है। ललित जी एवं कविता कोश की पूरी टीम इसके लिए बधाई की हकदार है। कविताकोश इसी तीव्र गति से सफलता के अनन्त शिखरों का स्पर्श करे इन्हीं हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
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<div id="kkcomentatorname">[[रमा द्विवेदी | डॉ. रमा द्विवेदी]]</div>
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<tr><td stylediv id="width:150pxkkreadercommentsblock" align=center>[[चित्र:ila_kumar.JPG|100px]]<br>'''[[इला कुमार]]'''</td><td valigndiv id=top"kkreadercomment">महान कवियों की अनमोल कविताओं का अनोखा संग्रह है कविता कोश . जब से परिचित होना हिन्दी जाना है दिन में एक बार तो जरूर ही कविता कोश में विचरण करती हूँ जितना देखती हूँ उतना ही कविताओं के संदर्भ इस महासागर में इकीसवीं सदी के कवि-स्वप्न डूबती जाती हूँ. भगवान से रूबरू होने जैसा प्रर्थना है; कम से कम मुझे तो ऐसा ही अनुभव हो रहा है।<br><br>अंग्रेज़ी शब्दों के महाजाल के बीच स्थित कम्प्यूटर का अनजाना सा दिखनेवाला पर्दा जब अचानक महादेवी वर्मा, अज्ञेय, दुष्यंत कुमार इत्यादि की रचनाओं की दीप्ती तले कौंधने लगता है और विनोद कुमार शुक्ल, अरुण कमल आदि की रचनाओं को प्रस्तुत करने लगता है तो मन में हिन्दी कविता के प्रति आश्वस्ती सी जागती है। सुकून और तसल्ली की लहर हृदय को छूती है, दिलासा देती है कि हिन्दी कविता कहीं न कहीं वयव्यथा के बीच मौजूद है और शायद ऐसे ये यूँ ही आगे भी बनी रहेगी, स्वयं को बनाये रख पाएगी। ये तय है की कविता कोश स्वयं को उन्नति पथ पे चढता रहे निखरता रहे सवरता रहे और अधिक प्रतिष्ठापूर्वक स्थापित कर पाएगा यदि विज्ञान के तीव्र क़दमों के बीच हिन्दी के फ़ॉन्ट को भी ढंग से नियोजित किया जाए।<br><br>रहती दुनिया तक आपनी वर्षगांठ मनाता रहे.
हिन्दी उन्नति कर रही, देखि हुआ संतोष,
कविगण हो आनन्दमय, देखें ’कविता कोश’;'कविता कोश'देखें कविता कोश सभी पाठकगण आकर,दीवाने हों मधुशाला में डुबकी पाकर;कह ’सज्जन’ 'सज्जन' कविराय, आज बन सुन्दर बिन्दी,भारत माता के मस्तक पर सजती हिन्दी।हिन्दी</poemdiv><div id="kkcomentatorname">[[धर्मेन्द्र कुमार सिंह]]</div></tablediv>