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|भाषा=मैथिली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह= बियाह सँ द्विरागमन धरिक गीत / मैथिली लोकगीत संग्रह
}}
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<poem>नगरहिक नाथ कन्हैया देखू हे मैया
गाइक गोबर लए लांगन नीपल, कंचन कलश धरैया, देखू...
पाँच सखी मिलि अरिपन देलनि, राधा के बैसैया, देखू...
पानक ढ़ोली लए कृष्ण के देलनि, मंगल गाबि चुमैया, देखू...
दुभि अक्षत लए मुनि सभ आयल, शीश झुकाबे कन्हैया, देखू...
</poem>
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