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|रचनाकार=दीनदयाल शर्मा
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<poem>बिस्तर में लेटे-लेटे ही,
आओ कोई गीत बनाएं।
नहीं आए जब कोई गीत तो,
उल्टे-सीधे शब्द सजाएं।
शब्दों का यह खेल है सारा,
शब्दों की ताकत को जानें।
शब्द-शब्द मिल बनती बातें,
शब्दों की ताकत पहचानें।
शब्द सजेगा गीत बनेगा,
गीत को मन ही मन में गाएं।
लय बन जाएगी स्वत: ही,
आओ रलमिल गुनगुनाएं।।</poem>
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आओ कोई गीत बनाएं।
नहीं आए जब कोई गीत तो,
उल्टे-सीधे शब्द सजाएं।
शब्दों का यह खेल है सारा,
शब्दों की ताकत को जानें।
शब्द-शब्द मिल बनती बातें,
शब्दों की ताकत पहचानें।
शब्द सजेगा गीत बनेगा,
गीत को मन ही मन में गाएं।
लय बन जाएगी स्वत: ही,
आओ रलमिल गुनगुनाएं।।</poem>