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आज के दिन न पूछो मेरे दोस्तो<br>
ज़ख़्म कितने अभी बख़्त-ए-बिस्मिल <ref>घायल की किस्मत</ref> में हैं<br>दश्त <ref>धूल </ref> कितने अभी राह-ए-मंज़िल में हैं<br>तीर कितने अभी दस्त-ए-क़ातिल <ref>क़ातिल के हाथ</ref> में हैं<br><br>
आज के दिन ज़ुबूँ है मेरे दोस्तो<br>
जैसे दर्द-ओ-अलम के पुराने निशाँ<br>
सब चले सू-ए-दिल कारवाँ कारवाँ<br>
हाथ सीने पे रखो तो हर उस्तख़्वाँ<ref>हड्डी, अस्थि </ref><br>
से उठे नाला-ए-अल'अमाँ अल'अमाँ<br><br>
आज के दिन न पूछो मेरे दोस्तो<br>
कब तुम्हारे लहू के दरीदा अलम<br>
फ़र्क़-ए-ख़ुर्शीद-ए-महशर <ref>चाँद और जन्नत</ref> पे होंगे रक़म<br>अज़ कराँ ता कराँ <ref>एक किनारे से दूसरे किनारे, यानि पूरी दुनिया </ref> कब तुम्हारे क़दम<br>
लेके उठेगा वो बहर-ए-ख़ूँ यम-ब-यम<br>
जिस दिल में धुल जायेगा आज के दिन का ग़म<br>
दूर कितनी है ख़ुर्शीद-ए-महशर की लौ<br>
आज के दिन न पूछो मेरे दोस्तो
==शब्दार्थ ==
<references/>