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रात भर मस्तियाँ, शामियाने में हैं
वक़्त -ए-रुख़सत है, अब दुल्हन हो जा रही है बिदादुल्हनचारसू, हर तरफ़ सिसकियाँ, शामियाने में हैं
ये छुड़ाता है घर, गाँव, सखियाँ 'रक़ीब'
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