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Kavita Kosh से
बना आम की गुठली का बाजा
खोल दिया मौसम का दरवाज़ा
धरती पर लहराएगा पानी
हवा करेगी अपनी मनमानी
गीत उठेंगे अँगड़ाई लेकर
पतनाले बोलेंगे छरर-छरर
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