भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पीठ कोरे पिता-4 / पीयूष दईया

451 bytes added, 10:44, 28 अगस्त 2014
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पीयूष दईया |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=पीयूष दईया
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
अब आवाज़ से डरने लगा हूं
सांस में सिक्का उछालने जैसे

--स्वयं को बरजता
माथे में रुई धुनते हुए--

विदा का शब्द नहीं है।
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
1,983
edits