भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
/* ग़ज़लें */
* [[क्या क्या पापड़ बेल चुके हैं अब ग़म से घबराना क्या / कांतिमोहन 'सोज़']]
* [[शेख़ का एहतराम करते हैं / कांतिमोहन 'सोज़']]
* [[कोई बिजली खला में कौंध जाए यूूं भी होता / कांतिमोहन 'सोज़']]
* [[ए साक़िआ मस्ताना मेरी कौन सुनेगा / कांतिमोहन 'सोज़']]