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लव जेहाद-3 / प्रियदर्शन

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लड़कियां तरह-तरह से बचाए रखती हैं अपना प्रेम।
चिड़ियों के पंखों में बांध कर उसे उड़ा देती हैं
नदियों में किसी दीये के साथ सिरा देती हैं
किताबों में किसी और की लिखी हुई पंक्तियों के नीचे
एक लकीर खींच कर आश्वस्त हो जाती हैं
किसी को नहीं पता चलेगा, यह उनके प्रेम की लकीर है
सिनेमाघरों के अंधेरे में किन्हीं और दृश्यों के बीच
अपने नायक को बिठा लेती हैं,
हल्के से मुस्कुरा लेती हैं
कभी-कभी रोती भी हैं
कभी-कभी डरती हैं और उसे हमेशा-हमेशा के लिए भूल जाने की कसम खाती हैं
लेकिन अगली ही सुबह फिर एक डोर बांध लेती हैं उसके साथ।
अपनी बहुत छोटी, तंग और बंद दुनिया के भीतर भी वे एक सूराख खोज लेती हैं
एक आसमान पहचान लेती हैं, कल्पनाओं में सीख लेती हैं उड़ना
और एक दिन निकल जाती हैं
कि हासिल करेंगी वह दुनिया जो उनकी अपनी है
जो उन्होंने अपनी कल्पनाओं में सिरजी है
बाकी लोग समझते रहें कि यह प्रेम है
उनके लिए यह तो बस अपने को पाना है- सारे जोखिमों के बीच और बावजूद।
</poem>
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