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|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
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<poem>
प्यार किसी को करना लेकिन
कह कर उसे बताना क्या
अपने को अर्पण करना पर
और को अपनाना क्या
प्यार किसी को करना गुण का ग्राहक बनना लेकिन<br>कह गा कर उसे बताना सुनाना क्या<br>अपने को अर्पण करना पर<br>मन के कल्पित भावों सेऔर औरों को अपनाना भ्रम में लाना क्या<br>
ले लेना सुगंध सुमनों की
तोड उन्हे मुरझाना क्या
प्रेम हार पहनाना लेकिन
प्रेम पाश फैलाना क्या
गुण का ग्राहक बनना लेकिन<br>गा कर उसे सुनाना क्या<br>मन के कल्पित भावों से<br>औरों को भ्रम में लाना क्या<br> ले लेना सुगंध सुमनों की<br>तोड उन्हे मुरझाना क्या<br>प्रेम हार पहनाना लेकिन<br>प्रेम पाश फैलाना क्या<br> त्याग अंक में पले प्रेम शिशु<br>उनमें स्वार्थ बताना क्या<br>दे कर हृदय हृदय पाने की<br>आशा व्यर्थ लगाना क्या<br/poem>