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सदस्य वार्ता:Sumitkumar kataria

2,160 bytes added, 16:25, 14 अप्रैल 2008
प्रिय सुमित जी,
मैंने आपको जो सम्बोधन किया था, उस पर आपकी सफ़ाई पढ़ी। मेरा यह मानना है कि जब आप कुछ कहते या लिखते हैं तो आपकी भाषा इतनी स्पष्ट होनी चाहिए कि कोई दूसरा अर्थ उन शब्दों का न निकले । हिन्दी में 'वो' सर्वनाम किसी एक व्यक्ति के लिए प्रयोग में आता है और यह 'वह' का बिगड़ा हुआ रूप है जो बोलचाल में ही
प्राय: इस्तेमाल किया जाता है। बहुवचन के लिए(यानी 'ज्ञानपीठ वालों'के लिए)हिन्दी में जिस सर्वनाम का उपयोग
किया जाना चाहिए वह 'वे' होगा । शायद इसी कारण से और जिस पन्ने की ओर आपने इंगित कर रखा था, उसी वज़ह से यह ग़लतफ़हमी हुई, अब आगे से कुछ भी लिखते हुए ख़याल रखियेगा।
 
जहाँ तक चन्द्रबिन्दु को सुधारने की जो ज़िम्मेदारी आप लोग ले रहे हैं, उसके लिए मैं आपके प्रति एडवांस में आभार व्यक्त करता हूँ क्योंकि यह बड़ा काम है। अगर आप जैसी लगन हम सब में हो, तो हिन्दी का कल्याण ही होगा । सादर ।
'''--[[सदस्य:अनिल जनविजय|अनिल जनविजय]] १८:२६, १३ अप्रैल २००८ (UTC)''''
 
 
जरूर, हम सब मिलकर इस चंद्रबिंदु को सुधर देंगे।
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