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कौन हो तुम? संसृति-जलनिधि,
तीर-तरंगों से फेंकी मणि एक,
कर रहे निर्जन का चुपचाप
सुलझा हुआ रहस्य,
एक करुणामय सुंदर मौन
और चंचल मन का आलस्य"
सुना यह मनु ने मधु गुंजार