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जीवन / अज्ञेय

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प्रूफ़रीड किया है
मानो धरे लकीर
जमे खारे झागों की--की—
रिरियाता कुत्ता यह
पूँछ लड़खड़ाती टाँगों टांगों के बीच दबाये ।दबाये।
दुर्गम, निर्मम, अन्तहीन
उस ठण्डे पारावार से !
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