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आरू बाबुल आवय नी जायलुगड़ा-धोती को दियो रे इनामअहीर मऽ रोअ् अड़अ् रह्यो।हरि जो सखि नऽ काकन बाँध्याआरू एक छन देखय वा बाटपूछय सखि कोखऽ दियो इनामकाका जी मऽ रोअ् कब आवय।आरू काका जी आवय नी जायअहीर मऽ रोअ् अड़अ् रह्यो।आरू एक छन देखय वा बाटभैया मऽ रोअ् कब आवय।।आरू भैयाजी आवय नी जायअहीर मऽ रोअ् अड़अ् रह्योआरू एक छन देखय वा बाटमामाजी मऽ रोअ् कब आवय।आऊर मामाजी आवय नी जायअहीर मऽ रोअ् अड़अ् रह्यो।आरू एक छन देखय वा बाटमावस्या मऽ रोअ् कब आवय।आरू मावस्या जी आवय नी जायअहीर मऽ रोअ् अड़अ् रह्यो।आरू एक छन देखय वा बाटबव्हनय मऽ रोअ् कब आवय।आरू बव्हनय आवय नी जायअहीर मऽ रोअ् अड्अ् रह्यो।।हरि जो सखि नऽ काकन बाँध्या।।
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