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खण्डः दो / पुरुष

No change in size, 09:33, 22 मार्च 2015
लोग जब टोकते हैं तो मैं व्यस्तता ओढ़कर कहता हूं
क्या करूं, समय नहीं मिलता।।
 '''बीस'''
सोचता हूं कि आओगी तो कैसे कर पाऊंगा
तुम्हारा सामना।
यों
आज पुनः निरस्त तुम्हारी आगमन संभावना।।
 '''एक्कीस'''
भाभी मज़े में तो है, जब कोई समवयस्क
औपचारिकतावश पूछता है
मैं मुस्कुरा भर देता हूं, सच एकबारगी
कुछ नहीं सूझता है।।
 '''बाईस'''
तुम्हारे प्यार का भागी नहीं ही हो पाय
किन्तु पायी है कुछ कुछ हमदर्दी।
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