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बन्दा गुनाहगार था ख़ालिक़ करीम था
जिस दिन से मैं चमन में हुआ ख़्वाहे-ए-गुल 'आमीरअमीर'
नाम-ए-सबा कहीं न निशान-ए-नसीम था
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