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|रचनाकार=नरेश कुमार विकल
|संग्रह=अरिपन / नरेश कुमार विकल
}}
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<poem>
ई देश हमर ओकरे जकरा
हाथक कलम करूआरि छै।
एक हाथ मे फूल अमन केर
दोसर मे तरूआरि छै।
टुटल मरइया गाबि रहल छै
ताजमहल केर तान पर
मुदा प्राण केर बलि चढ़ाबय,
सदिखन अपन आन पर
दोस्तक लेल शीतल समीर
आ‘ दुश्मन लेल बिहाड़ि छै।
एक हाथ मे फूल अमन केर
दोसर मे तरूआरि छै।।
एखनो उगथि सुरूज नित दिन
पूर्वांचल केर कोर मे
सीता केर इतिहास लिखल अछि
डूबल हुनके नोर मे।
लक्ष्मीबाई एहेन कतेको
भरल देश मे नारि छै।
एक हाथ मे फूल अमन केर
दोसर मे तरूआरि छै।।
घऽर अजन्ता गाम एलोरा
विद्यापति केर गीत छै,
बाला केर गर्दनि मे शोभै
सरिसों फूलक पीत छै।
सुतल समुन्दर मे एखनो फेर
उठल बड़का जुआरि छै।
एक हाथ मे फूल अमन केर
दोसर मे तरूआरि छै।।
</poem>
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|संग्रह=अरिपन / नरेश कुमार विकल
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ई देश हमर ओकरे जकरा
हाथक कलम करूआरि छै।
एक हाथ मे फूल अमन केर
दोसर मे तरूआरि छै।
टुटल मरइया गाबि रहल छै
ताजमहल केर तान पर
मुदा प्राण केर बलि चढ़ाबय,
सदिखन अपन आन पर
दोस्तक लेल शीतल समीर
आ‘ दुश्मन लेल बिहाड़ि छै।
एक हाथ मे फूल अमन केर
दोसर मे तरूआरि छै।।
एखनो उगथि सुरूज नित दिन
पूर्वांचल केर कोर मे
सीता केर इतिहास लिखल अछि
डूबल हुनके नोर मे।
लक्ष्मीबाई एहेन कतेको
भरल देश मे नारि छै।
एक हाथ मे फूल अमन केर
दोसर मे तरूआरि छै।।
घऽर अजन्ता गाम एलोरा
विद्यापति केर गीत छै,
बाला केर गर्दनि मे शोभै
सरिसों फूलक पीत छै।
सुतल समुन्दर मे एखनो फेर
उठल बड़का जुआरि छै।
एक हाथ मे फूल अमन केर
दोसर मे तरूआरि छै।।
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