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{{KKRachna
|रचनाकार=मलिक मोहम्मद जायसी
|अनुवादक=|संग्रह=पद्मावत / मलिक मोहम्मद जायसी}} <poem>सिंघलदीप कथा अब गावौं । औ सो पदमिनी बरनि सुनावौं ॥निरमल दरपन भाँति बिसेखा । जौ जेहि रूप सो तैसई देखा ॥धनि सो दीप जहँ दीपक-बारी । औ पदमिनि जो दई सँवारी ॥सात दीप बरनै सब लोगू । एकौ दीप न ओहि सरि जोगू ॥दियादीप नहिं तस उँजियारा । सरनदीप सर होइ न पारा ॥जंबूदीप कहौं तस नाहीं । लंकदीप सरि पूज न छाहीं ॥दीप गभस्थल आरन परा । दीप महुस्थल मानुस-हरा ॥
ग्रंध्रबसेन सुगंध नरेसू । सो राजा, वह ताकर देसू ॥
लंका सुना जो रावन राजू । तेहु चाहि बड ताकर साजू ॥
छप्पन कोटि कटक दल साजा । सबै छत्रपति औ गढ -राजा ॥
सोरह सहस घोड घोडसारा । स्यामकरन अरु बाँक तुखारा ॥
सात सहस हस्ती सिंघली । जनु कबिलास एरावत बली ॥
अस्वपतिक-सिरमोर कहावै । गजपतीक आँकुस-गज नावै ॥
नरपतीक कहँ और नरिंदू ?। भूपतीक जग दूसर इंदू ॥
साजा राजमंदिर कैलासू । सोने कर सब धरति अकासू ॥सात खंड धौराहर साजा । उहै सँवारि सकै अस तुखार राजा ॥हीरा ईंट, कपूर गिलावा । औ नग लाइ सरग लै लावा ॥जावत सबै उरेह उरेहे । भाँति भाँति नग लाग उबेहे ॥भाव कटाव सब देखे जनु मन के रथवाह अनबत भाँती ।<br>चित्र कोरि कै पाँतिहिं पाँती ॥नैनलाग खंभ-पलक पहुँचावहिं जहँ पहुँचा कोइ चाह ॥22॥<br><br>मनि-मानिक जरे । निसि दिन रहहिं दीप जनु बरे ॥देखि धौरहर कर उँजियारा । छपि गए चाँद सुरुज औ तारा ॥
(1) बारी = बाला, स्त्री । सरनदीप-अरबवाले लंका को सरनदीप कहते थे । भूगोलल का ठीक ज्ञान न होने के कारण कवि ने स्वर्णदीप और सिंहल को भिन्न भिन्न द्वीप माना है । हरा = शून्य
(2) तुखार =तुषार देश का घोडा । इंदू =इंद्र । चाहि = अपेक्षा (बढकर) बनिस्बत। कविलास = स्वर्ग ।
(3) भूमि हुत = पृथ्वी से (लेकर) लागि = तक ।
(4) पींड = जड के पास की पेडी । फुरै = सचमुच । खजहजा = खाने के फल । अनबन =भिन्नभिन्न (5) चुहचूही =एक छोटी चिडिया जिसे फूल सुँघनी भी कहते हैं । सारौं = सारिका, मैना । महरि = महोख से मिलती जुलती एक छोटी चिडिया जिसे ग्वालिन और अहीरिन भी कहते हैं । हारा = हाल, अथवा लाचारी, दीनता । (6) पैग पैग पर = कदम कदम पर । पाँवरी = सीढी । ब्रह्मचार = ब्रह्मचर्य । सुरसती = सरस्वती (दसनामियों में ) खेवरा = सेवडों का एक भेद । (7) भईं = घूमी हैं । गरेरी = चक्करदार । पाल = ऊँचा बाँध या किनारा, भीटा ।
(8) मेघावर = बादल की घटा । ता पाईं = पैर तक । बीजु - बिजली ।
(9) बानी = वर्ण, रंग, चमक । सोन,ढेक, बग, लेदी = ताल की चिडिया । मरजिया = जानजोखिम में डालकर विकट स्थानों से व्यापार की वस्तुएँ लानेवाले, जीवकिया, जैसे, गोताखोर । (10) हरफार््योरी = लवली । न्योजी = लीची । खँडवानी =काँड का रस । (11) कूजा = कुब्जक । पहाडी या जंगली गुलाब जिसके फूल सफेद होते हैं ।घनबेली =बेलाकी एक जाति । नागेसर = नागकेसर । बकौरी = बकावली । बगुचा = (गट्ठा) ढेर, राशि ।सिंगार-हार = हरिसिंगार । शेफालिका । (12) मेद = मेदा एक सुगंधित जड । गौरा = गोरोचन । ओठँवि = पीठ टिकाकर । (13) कुहकुहँ = कुंकुम, केसर । धवल = सफेदी । सिरी = श्री, रोली, लाल बुकनी । बेना =खस वा गंधबेन । बेसाहनी = खरीद । (14) बेसा = वेश्या । खुंभी = कान में पहनने का एक गहना, लौंग या कील । सारी = सारि, पासा । गथ = पूँजी । (15) साँठ =पूँजी । नाठि = नष्ट हुई ।सोंधा = सुगंध द्रव्य । गाँधी = गंधी । खिरौरी = केवडा देकर बाँधी हुई या कत्थे की टिकिया । चिरहँटा = बहेलिया । पखंडी = कठपुतलीवाला ।
(16) करिन्ह = दिग्गजों ।
(17) पाजी = पैदल सिपाही । कोतवार । कोटपाल, कोतवाल । गुंजरि लीहा = गरज कर लिया ।(18) बसेरा = टिकान । (19) रहँट-घरी =रहट में लगा छोटा घडा । घरियार = घंटा ।घरी भरी = घडी पूरी हुई (पुराने समय में समय जानने के लिये पानी भरी नाँद में एक घडिया या कटोरा महीन महीन छेद करके तैरा दिया जाता था । जब पानी भर जाने पर घडिया डूब जाती थी तब एक घडी का बीतना माना जाता था ।
(20) परस पखान = स्पर्शमणि, पारस पत्थर । सारी =पासा ।
(20) झारि = बिल्कुल या समूह । सरि पूज = बराबरी को पहुँचता है । खडगदान =तलवार चलाना ।
(21) बारा = द्वार । ठेघा = सहारा दिया । अँगवै = शरीर पर सहती है ।
(22) रजबार = राजद्वार । समंद = बादामी रंग का घोडा । हँसुल = कुम्मैत हिनाई, मेहँदी के रंग का और पैर कुछ काले । भौंर = मुश्की । कियाह = ताड के पके फल के रंग का । हरे = सब्जा । कुरंग = लाख के रंग का या नीला कुम्मेत । महुअ = महुए के रंग का गरर = लाल और सफेद मिले रोएँ का, गर्रा । कोकाह = सफेद रंग का । बुलाह = बुल्लाह, गर्दन और पूँछ के बाल पीले । ताजा - ताजियाना, चाबुक । अगमन = आगे । तुखार = तुषार देश के घोडे, यहाँ घोडे । (23) दर =दरवाजा । मेद =मेदा, एक प्रकार की सुगंधित जड । तवै = तपता है (24) उरेह = चित्र । उबेहे =चुनेहुए, बीछे हुए । कोरिकै = खोद कर । बेहर बेहर = अलग अलग ।
(25) बारह-बानी = द्वादशवर्णी, सूर्य्य की तरह चमकनेवाली ।
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