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<poem>
गांव रै जो’डै़ री
पाळ माथै
उतर्योड़ा
खानाबिदोसां
रात री तीन बज्यां
जद खळबळी मचाई
आग जगाई
तो म्हैं सोच्यो-
अै करैगा अब लदाई

पसा दिनुगै सोझळै में
म्हैं देख्यो-
बै तो सुत्या है
बियां ही जड़्या-जापड़्या

रात बीं टेम
स्यात बै
करै हा पाळै सागै
लड़ाई।
</poem>
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