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बात बनती नहीं ऐसे हालात में
मैं भी जज़्बातमेंजज़्बात में, तुम भी जज़्बात में
कैसे सहता है मिलके बिछडने का ग़म
आप गुम हो गए किन ख़यालात में
दिल में उठते हुए वसवसों <ref>तरंग</ref> के सिवा
कौन आता है `साग़र' सियह रात में
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