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[[Category:छप्पय]]
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चकित भँवरि रहि गयो, गम नहिं करत कमलवन.
अहि फन मनि नहिं लेत, तेज नहिं बहत पवन वन.
खानान खान बैरम सुवन जबहिं क्रोध करि तंग कस्यो.