भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
बड़ी अनोखी तेरे पैरहन की ख़ुशबू है
करीब पा के तुझे झूमता है मेरा मन मेरा
जो तेरे तन की है वो मेरे मन की खुशबू है