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ज़ालिमों का जुल्म भी काफूर-सा उड़ जाएगा,
फैसला होगा सरे दरबार वंदे मातरम्।
 
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प्राप्त जानकारी और श्री एम.एल.वर्मा "क्रांत" जी के शोधानुसार यह रचना महान क्रांतिकारी श्री रामप्रसाद बिस्मिल की है। पाठकों से निवेदन है कि यदि आपके उक्त शोध उपलब्ध है तो उचित पन्नें की तस्वीर हमें भेज दें। इससे हम इस रचना को बिस्मिल जी के पन्नें पर स्थानांतरित कर पाएँगे।
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