भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ग़ज़ल-ए-शहीदाँ / संतलाल करुण

1,440 bytes added, 14:13, 4 अगस्त 2015
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संतलाल करुण |अनुवादक= |संग्रह=अतल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=संतलाल करुण
|अनुवादक=
|संग्रह=अतलस्पर्श / संतलाल करुण
}}
{{KKCatGeet}}
<poem>दुश्मने-सरहद को जोशाँ ख़ूँ दिखाने चल पड़े
वादियाँ ख़ूँ तर-बतर हम ख़ूँ नहाने चल पड़े |

सरज़मीं अब तक रही वाबस्तए जानो-जिगर
सरज़मीं के वास्ते अब सीना ताने चल पड़े |

हमज़बाँ देखा ग़जब लगते शरीफ़ों को गले
ज़ह्रागीं मारे-आस्तीं को ख़ुद मिटाने चल पड़े |

ख़ूब सौदाए-शहादत बढ़के याराँ ने किया
आज शैदाए-वतन फिर ख़ूँ बहाने चल पड़े |

घुसपैठिए सियाहदिल सरबरहना सरहदें
सरकोब सरबाज़ हम सरहद बचाने चल पड़े |

ऐ बटालिक, काक्सर, मश्कोह, द्रासो-कारगिल
लो सलामो-अम्न हम वादा निभाने चल पड़े |
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
5,484
edits