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<poem>दूध भरे दूधिया कटोरे
चंदा मामा, गोरे-गोरे!
तुम्हें घेर रखते हैं
रातों में तारे,
कभी-कभी रात छोड़
दिन में भी आ रे।
खेल-कूद संग मेरे सो, रे
चंदा मामा गोरे-गोरे!

बोलो तुम आओगे
क्या मोटरकार में
आ जाना, आ जाना
अबके रविवार में
देखे, मत मारना टपोरे
चंदा मामा गोरे-गोरे!

देखो तो आकर के
कैसे हम रहते,
सुननाा वो सब हमसे
बाबा जो कहते।
ले आना तारों के छोरे
चंदा मामा गोरे-गोरे!
</poem>
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