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|रचनाकार=पृथ्वी पाल रैणा
}}
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आज जो कहना है कह डालो
सब सुनने की हिम्मत है
सिर से बोझ उतार दिया है
जीवन की नाकामी का
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आज जो कहना है कह डालो
सब सुनने की हिम्मत है
सिर से बोझ उतार दिया है
जीवन की नाकामी का
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