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|रचनाकार=रामदुलारा सिंह 'पराया'
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<poem>जन्म दिवस पर पापा मेरे
लाए खूब मिठाई,
मम्मी-पापा, मैंने खाई
जम कर खूब मिठाई!
पर दादी की थाली से जब-
गायब मिली मिठाई,
तब बरबस ही मेरी आँखें
छल-छल कर भर आई!
झट बोला पापा से जाकर
जन्म दिवस यह कैसा,
दादी माँ को नहीं दिया क्यों-
खाना सबके जैसा?
</poem>
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