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|रचनाकार=श्यामसिंह 'शशि'
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<poem>मैंने अपना नोट बचाया,
नन्हा राकेट एक बनाया।
घर-घर घर-घर उड़ा दिया जब,
दुश्मन को थरथरा दिया तब।
</poem>
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नन्हा राकेट एक बनाया।
घर-घर घर-घर उड़ा दिया जब,
दुश्मन को थरथरा दिया तब।
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